Hum Unki Zafa Sar Aankhon Pe Uthaate Chale Gaye

Hum Unki Zafa Sar Aankhon Pe




हम उनकी ज़फा सर आँखों पे उठाते चले गए,
वो हमारी वफ़ा को भुलाते चले गए,

 हम उनके ख्वाबों का शहर सपनों में अपने बसाते चले गए,

वो आये भी और आकर दूर जाते चले गए

 उनके दौर में कुछ यूँ सरगोशी का आलम था

वो हमे मगलुब बनाये और बनाते चले गए

हमे कुछ शौक था उनकी जुल्फों में खो जाने का सो

हम उनकी जुस्तजू में सारी कायनात भुलाते चले गये

बड़े प्यार से रखा जिनकी शोखियों को अंजुमन में अपने

और वो हमे हमारी औकात बताते चले गए

जिनकी कुर्बत की चाहत में हमने नज्मे लिख दी,

वो हमे मोहब्बत का अंजाम बताते चले गए

कुछ और लोग होते है लौट के आने वाले

 वो तो जाते जाते हमे हमारी जगह दिखाते चले गए।


Comments